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बुध की महादशा के प्रभाव और उपाय/ Mercury Mahadasha Effects and Remedies

बुध की दशा-भुक्ति/Mahadasha में व्यक्ति, शिक्षा और विवेकपूर्ण क्षमताओं के कारण कार्य-कुशल होता है तथा व्यक्ति स्वयं को उद्योग, व्यापार, कृषि कार्यों, विशेषकर शिल्पकारी से संबंधित कार्यों में संलग्न रहते हुए, यज्ञ जैसे धार्मिक कार्य करता है और धनवान बनता है। बुध दशा में व्यक्ति संगीत, गायन क्षमता और मसखरी जैसे कार्यों में रुचि दिखाता है। विनम्रता शिक्षा की एक विशेषता होने के कारण, व्यक्ति विनम्र होता है। जैसा कि कहा गया है:

विद्या ददाति विनयम, विनयाद् याति पात्रताम् ।

पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥

अर्थात् विद्या से विनय की प्राप्ति होती है, विनय से हमे पात्रता की प्राप्ति होती है, पात्रता से हमे धन की प्राप्ति होती है, धन से धर्म की प्राप्ति होती है और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है। 

बुध दशा में व्यक्ति धर्मवक्ता, धार्मिक विद्वानों और सज्जन लोगों की संगति पसंद करने के साथ ही, ताजे अनाज का उपभोग करता है तथा प्रसिद्धी, आभूषण प्राप्त करता है और नए घर का निर्माण करता है। बुध पत्नी और संतान से सुख देता है। स्वयं की दशा में कमजोर और पीड़ित बुध, धन की हानि का कारण बनता है और मनुष्य के शारीरिक तंत्र के तीनों विकारों कफ, वायु और पित्त के कारण होने वाली बीमारियां देता है। 

बुध-दशा में भुक्ति/ Bhuktis in Mercury-Dasa 

लग्न से स्वराशि के कोणों और त्रिकोण में उच्च का बुध, व्यक्ति का धार्मिक कार्यों के प्रति झुकाव, ज्ञान में वृद्धि, प्रसिद्धि, आनंद, शिक्षा संबंधी प्रतियोगिताओं में सफलता को दर्शाता है। लग्न से छठे, आठवें या बारहवें भाव में कमजोर और पीड़ित बुध कई परेशानियों, स्थानांतरण, रिश्तेदारों के विरोध से हानि, आंतों के विकार और सिरदर्द का संकेत देता है।

बुध-केतु दशा/ Mercury-Ketu Dasha

लग्न या बुध से ग्यारहवें भाव के त्रिकोणों (तीन कोणों) या उनके स्वामियों के साथ केतु की युति लाभकारी होने के कारण सुख, प्रसिद्धि, ज्ञान, स्वास्थ्य, धन, ईश्वर और धार्मिक ज्ञान की प्राप्ति का प्रतीक होता है। आमतौर पर, केतु भुक्ति अनुकूल नहीं होती क्योंकि दूसरे भाव में स्थित केतु, धन प्राप्ति के लिए उपयुक्त नहीं होता है।

बुध-शुक्र दशा/ Mercury-Venus Dasha

लग्न या बुध से ग्यारहवें भाव के त्रिकोणों (तीन कोणों) में या स्वराशि मे उच्च का शुक्र जमीन-जायदाद, आभूषण, कीमती वस्त्र और सुख-साधनों के लाभ को दर्शाता है। व्यक्ति परोपकारी, दान-पुण्य करने वाला और सुंदर स्त्री से संबंधित स्थानों से लाभ प्राप्त करता है। लग्न या बुध से छठे, आठवें या बारहवें भाव में कमजोर और पीड़ित शुक्र पत्नी की हानि, हृदय रोग, यौन रोग, पेचिश, अंधाधुंध खर्चों, नाड़ी की स्थिति, ऊतकों में वॉटर रिटेंशन और मूत्र संबंधी समस्याओं का सूचक है। सातवें भाव में मारक रूप में पीड़ित शुक्र, सेक्स स्कैंडल में मृत्यु, किडनी संबंधी समस्याएं, या असाध्य यौन रोगों द्वारा अप्राकृतिक मृत्यु का प्रतीक है।

बुध-सूर्य दशा/ Mercury-Sun Dasha

लग्न या बुध से ग्यारहवें भाव के त्रिकोणों (तीन कोणों) में उच्च का सूर्य, शैक्षणिक योग्यता के कारण उच्च पद की वृद्धि, मौखिक क्षमता के कारण राजकीय न्यायालयों में मान-सम्मान, जमीन-जायदाद की प्राप्ति, स्वास्थ्य, धन और समृद्धि दर्शाता है। लग्न या बुध से छठे, आठवें या बारहवें भाव में पीड़ित और कमजोर सूर्य शरीर में पित्त की अधिकता, सिर दर्द, नेत्र रोग, हृदय रोग, तेज बुखार, आग से खतरा आदि का प्रतीक होता है। वहीं, दूसरे या सातवें भाव में सूर्य मारक परिणाम देता है।

बुध-चंद्र दशा/ Mercury-Moon Dasha

लग्न या बुध से ग्यारहवें भाव के त्रिकोणों (तीन कोणों) में उज्ज्वल किरणों के साथ स्थित उच्च का चंद्रमा विलासी जीवन, गहने, कीमती वस्त्र, स्वास्थ्य, धन, और मामा द्वारा तीर्थयात्री होने का आनंद लाभ तथा उल्लेखनीय रूप से समुद्र में से मोती ढूंढने के समान, लगातार यात्राओं के लाभ को दर्शाता है। साथ ही, इस राशि वाले व्यक्ति नौ-परिवहन द्वारा धनवान बनते हैं। लग्न या बुध से छठे, आठवें या बारहवें भाव में पीड़ित और कमजोर चंद्रमा भावनात्मक अशांति, कुष्ठ रोग, थायराइड की समस्या, क्षयरोग, फिस्टुला आदि को दर्शाता है तथा व्यापारिक साझेदार द्वारा धोखा और पत्नी को भूख की कमी जैसी बीमारियां हो सकती हैं। वहीं, दूसरे या सातवें भाव में पीड़ित चंद्रमा जलोदर, आत्महत्या या भावनात्मक आघात के कारण मृत्यु का कारण बनता है।

बुध-मंगल दशा/ Mercury-Mars Dasha

लग्न या बुध से ग्यारहवें भाव के त्रिकोणों (तीन कोणों) में स्थित उच्च का मंगल जमीन, स्वास्थ्य, धन और समृद्धि को दर्शाता है। व्यक्ति नया उद्योग या व्यवसाय की स्थापना, साहसिक कार्य, मुकदमेबाजी में सफलता, साहित्यिक क्षमता और वकालत द्वारा लाभ प्राप्त कर सकता है। लग्न या बुध से छठे, आठवें या बारहवें भाव में पीड़ित और कमजोर मंगल श्वास संबंधी परेशानियां, दमा, पित्त और तीव्र रोग, भूमि क्रय में हानि, भूमि संबंधी मुकदमे, चोरी से हानि, शत्रुओं से खतरा, स्वयं के भाईयों के कड़वाहट भरी शत्रुता का संकेत देता है। वहीं, दूसरे या सातवें घर में पीड़ित मंगल गंभीर बीमारी और तीव्र संक्रमण, रक्त विषाक्तता, हथियार या आग से चोट लगने आदि से मृत्यु को दर्शाता है।

बुध-राहु दशा/ Mercury-Rahu Dasha

ग्यारहवें भाव के त्रिकोणों (तीन कोणों) में राहु सम्मान, धन, तीर्थयात्रा, समृद्धि, अन्य धर्म के लोगों से लाभ का संकेत देता है तथा व्यक्ति कूटनीतिक क्षमताओं द्वारा राजकीय पद प्राप्त करने के साथ ही, मौजूदा रुझानों द्वारा व्यापार में सुधार कर सकता है। इसके अलावा छठे, आठवें या बारहवें भाव में पीड़ित राहु टाइफाइड जैसी समस्याओं, पेट में कीड़े, भय, फूड पॉइजनिंग, सर्पदंश और सरीसृपों से भय, निम्न जाति के लोगों द्वारा खतरा, अज्ञात स्वभाव वाली बीमारियों को दर्शाता है। वहीं, दूसरे या सातवें घर में पीड़ित राहु, रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु को दर्शाता है तथा व्यक्ति अच्छी तरह से बिछाए गए जाल का शिकार हो सकता है।

बुध-बृहस्पति दशा/ Mercury-Jupiter Dasha

लग्न या बुध से ग्यारहवें भाव के त्रिकोणों (तीन कोणों) या स्वराशि में स्थित उच्च का बृहस्पति विद्वान, धार्मिक और धनी लोगों के साथ संबंध, धन और समृद्धि, परोपकार, कारोबार और व्यापार का विस्तार तथा प्रकाशन, डिपार्टमेंटल स्टोर आदि व्यवसायों में सफलता को दर्शाता है। लग्न या बुध से छठे, आठवें या बारहवें भाव में पीड़ित और कमजोर बृहस्पति खराब स्वास्थ्य, लीवर से संबंधित समस्याओं, वरिष्ठों के साथ झगड़े, बदनामी और दुर्भाग्यवश पूर्वजों के श्राप और नौकरी में धन, पद और स्थानांतरण की हानि को दर्शाता है। वहीं, दूसरे या सातवें भाव में बृहस्पति, प्रबल मारक होता है।  इस भुक्ति/dasha में, यह व्यक्ति के जीवन की अवधि को लगभग समाप्त ही कर देता है।

बुध-शनि दशा/ Mercury-Saturn Dasha

लग्न या बुध से ग्यारहवें भाव के त्रिकोणों (तीन कोणों)  में स्थित उच्च का शनि, पारिवारिक समृद्धि में सुख, वरिष्ठों से प्रमोशन, श्रमिक वर्गों के नेतृत्व, मुद्रण व्यवसाय और कृषि कार्यों में लाभ आदि को दर्शाता है। छठे, आठवें या बारहवें भाव में पीड़ित और कमजोर शनि शत्रुओं से उत्पीड़न, पत्नी और बच्चों को परेशानी, गठिया और हड्डियों के रोग, बुरे स्वप्नों आदि का संकेत देता है तथा दूसरे या सातवें भाव में शनि रोगों द्वारा मृत्यु का संकेत देता है।

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