प्रथम भाव में बृहस्पति/ JUPITER IN 1ST HOUSE
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बृहस्पति एक शुभ ग्रह के रुप में जाना जाता है। बृहस्पति का प्रभाव कुंडली के सभी भावों में अलग अलग रुप से देखने को मिलता है। बृहस्पति का प्रभाव पहले भाव में होना अच्छा माना जाता है। कहा जाता है कि लग्न में स्थित गुरु/Jupiter in First house हजार दोषों को शांत करने वाला होता है। लग्न स्थान कुंडली का केंद्र और त्रिकोण स्थान होता है। यहां बृहस्पति के बैठे होने के कारण शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यहां बैठा बृहस्पति व्यक्ति के स्वभाव, संबंध, विवाह, संतान, धार्मिक स्थिति इत्यादि पर सीधा प्रभाव डालने वाला होता है।
लग्न भाव में बृहस्पति का प्रभाव
कुंडली के पहले भाव अर्थात लग्न में बृहस्पति व्यक्ति को नीतिकुशल, योग्य एवं प्रशासक बनाता है। बृहस्पति ग्रह लग्न में बैठ कर व्यक्ति को आध्यात्मिक गुण देता है। धार्मिक एवं परंपराओं को मानने वाला भी बनाता है। बृहस्पति धार्मिक गतिविधियों से जोड़ता है और व्यक्ति को धर्म-अध्यात्म की ओर अलग प्रकार से आकर्षित कर सकता है। इसके अतिरिक्त नई विचारधारा वाला तथा मार्गदर्शक भी बना सकता है। यह व्यक्ति को सामाजिक ताने बाने को समझते हुए आगे बढ़ने की प्रवृत्ति भी देता है। यह व्यक्ति को धनवान, बुद्धिमान, आज्ञाकारी, अभिमानी, उदार, परोपकारी, लीडर बनाने में बहुत योगदान देता है।
लग्न में बृहस्पति का स्वभाव एवं व्यक्तित्व पर प्रभाव
लग्न में बैठा गुरु व्यक्ति को प्रभावशाली तथा उच्चाभिलाषी बनाता है। व्यक्ति में स्वाभिमान एवं अधिकार की भावना होती है। दूसरों पर अपना असर डालने में सफल होता है। चुम्बकीय व्यक्तित्व प्राप्त होता है। आकर्षक चेहरा-मोहरा प्राप्त होता है। व्यक्ति नेतृत्व करने वाला तथा आगे रहते हुए काम करने वाला व्यवहार पाता है। परिवार या कुटुंब में किसी बड़े एवं जिम्मेदार व्यक्ति की भूमिका भी निभा सकता है। व्यक्ति उच्च सलाहकार बन सकता है एवं प्रतिष्ठा पाता है।
करियर और व्यवसाय पर प्रभाव
करियर के क्षेत्र में लग्न में बैठा बृहस्पति व्यक्ति को किसी उच्च संस्थान में पद प्रदान करता है। पहले घर में बृहस्पति के होने को राज्य या सरकार से जुड़े होने वाला भी माना जाता है। बृहस्पति ज्ञान का कारक है। इसलिए लग्न में इसकी स्थिति होने के कारण बौद्धिकता, ज्ञान एवं उपदेशक से जुड़े कामों को करने में व्यक्ति आगे रहता है और सफलता भी प्राप्त कर पाता है। वह स्वयं को राजनीति में आगे रख सकता है। व्यक्ति अधिकारियों एवं प्रतिष्ठित लोगों के साथ कार्य करता है। धार्मिक संस्थाओं में मठाधीश या फिर गुरु का स्थान पाता है। रचनात्मक एवं दक्षताओं में आगे रह सकता है। व्यक्ति मार्केटिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है। गुरू व्यक्ति को राजनीतिज्ञ की क्षेत्र में आगे बढ़ाता है। इसके साथ साथ गुरू व्यक्ति को बैंकिंग, इंश्योरेंस, वकालत, जज, फाइनेंस के क्षेत्र में काम दिला सकता है। इसके साथ ही अध्यापक, शिक्षक, किसी संस्था का अध्यक्ष, मैनेजमेंट या कारोबार इत्यादि में आगे बढ़ने के मौके देता है।
विवाह और प्रेम संबंध पर गुरू का प्रभाव
बृहस्पति लग्न में बैठ कर आपके रिश्तों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बृहस्पति व्यक्ति को वरिष्ठ पद दिलाता है। अपने रिश्तों में वह एक अच्छे फल प्रदान करता है। रिश्ते में ईमानदारी और प्रेम प्रचुर होता है। अपने रिश्ते के प्रति समर्पण और अधिकार की भावना भी व्यक्ति में होती है। वह निस्वार्थ भाव के साथ प्रेम करने वाला होता है। वैवाहिक जीवन अनुकूल होता है। जीवन साथी का सहयोग प्राप्त होता है। लम्बे समय तक रिश्तों में बंधे रहने की इच्छा भी व्यक्ति के मन में रहती है। अपनी ओर से सभी को प्रसन्न रखने की प्रयास भी व्यक्ति की तरफ से रह सकता है। लग्न में बैठा बृहस्पति व्यक्ति को कुछ लापरवाह भी बना सकता है, जिसके कारण कई रिश्तों में दूरी भी उत्पन्न हो सकती है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
लग्न में स्थित बृहस्पति का प्रभाव अधिकांशत: व्यक्ति को स्थूलता का प्रभाव दे सकता है। शरीर में वसा की अधिकता होने से मोटापे की समस्या बृहस्पति के कारण ही उत्पन्न होती है। कई बार मोटापा व्यर्थ के कारणों से भी बढ़ता है, तो कई बार रोग इत्यादि के प्रभाव से देह फूलने लगता है। बृहस्पति व्यक्ति को कम एक्टिव भी बना सकता है। आलस्य एवं परिश्रम की कमी के कारण सेहत प्रभावित हो सकती है और इसके कारण पैरों से संबंधित रोग आपको परेशान कर सकते हैं। मधुमेह की समस्या आपको परेशान कर सकती है। थायराइड, लीवर इत्यादि की समस्या भी परेशानी में डाल सकती है।