मुख्य पृष्ठ ग्रहों राहु राहु चतुर्थ भाव में

प्रीमियम उत्पाद

कुंडली के चौथे भाव में राहु का पड़ने वाला प्रभाव

वैदिक ज्योतिषशास्त्र में आमतौर पर यह कहा जाता है कि, राहु और उसका साथी केतु व्यक्ति को जीवन में छाया की तरह फल देते हैं। इसके वाबजूद ऐसा भी माना गया है कि कुंडली के चौथे भाव में राहु की उपस्थिति होने से व्यक्ति को अपने जीवनकाल में अच्छे और बुरे दोनों तरह के परिणाम देखने को मिल सकते हैं। 

कुंडली के चौथे भाव में राहु का व्यक्ति के आर्थिक जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव

कुंडली के चौथे भाव में राहु की स्थिति/  Rahu in 4th House होने से व्यक्ति अपने जीवन के शुरुआती दिनों में अलग-अलग परीक्षाओं और करियर को लेकर अपनी माँ से सलाह ले सकते हैं या उनके बताए रास्ते को चुन सकता है। हालांकि यदि व्यक्ति अपने माँ के बताए रास्तों पर चलने में किसी तरह से कामयाब नहीं हो पाता है तो वह अपनी आँखों में खुद को काफी छोटा महसूस करता है और उसे दूसरे लोग भी इस बात का समय-समय पर आभास दिलाते रहते हैं। ऐसी स्थिति आने पर व्यक्ति खुद को पूर्ण रूप से स्थिर रख पाने में असफल भी हो सकते हैं। वे ऐसी स्थिति में शांतिपूर्ण रूप से कोई भी अच्छा फैसला लेने की स्थिति में नहीं होते हैं। इसके साथ ही राहु की इस स्थिति के कारण व्यक्ति 14 से 28 साल की उम्र तक पैसों के लिए अपनी माँ पर निर्भर हो सकता है। उन्हें अपनी माँ से पैसों के साथ ही नैतिक सहायता की भी अपेक्षा रहती है। अब ऐसे में यदि उन्हें अपनी माँ से अपेक्षित सहायता ना मिले तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को काफी बड़ा झटका लग सकता है।  

कुंडली के चौथे भाव में राहु का व्यक्ति के करियर पर पड़ने वाला प्रभाव

कुंडली के चौथे भाव में राहु की स्थिति होने से व्यक्ति अपने करियर को लेकर काफी ज्यादा सजग रहता है। वह इस मामले में किसी दूसरे के साथ किसी भी तरह का मुकाबला करने से पूरी तरह से परहेज करते हैं। वे खुद की मेहनत से बनाए गए अपने मुकाम पे गर्व करते हैं और अचल संपत्ति के मालिक होते हैं। व्यक्ति अपने मूल्यों और सामाजिक कार्यों को दूसरों के सामने पेश करने में पूरी तरह से समक्ष हो सकते हैं। उन्हें करियर के साथ ही परिवार के सदस्यों के प्रति भी काफी आत्मीयता रहती है इसलिए वे पारिवारिक लोगों के साथ ही दोस्तों की मदद करने से भी कभी पीछे नहीं हटते। इस वजह से वह समाज में अपनी एक अच्छी छवि बनाने में पूरी तरह से सफलता प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों का झुकाव ज्यादातर किसी बड़े संगठन और उच्च पदों पर विराजमान लोगों के साथ संपर्क बनाने के लिए होता है। हालांकि वह अपनी लोकप्रियता बनाने के लिए ऐसे लोगों के संपर्क का नाजायज़ फायदा नहीं उठाते हैं। वे किसी भी संगठन में अपनी जगह सुनिश्चित करने के लिए कभी भी अपने सीनियर या उच्च अधिकारियों के संपर्क का सहारा लेना पसंद नहीं करते हैं। ऑफिस में दिन भर में चाहे उन्हें कितनी भी परेशानी क्यों का हुई हो लेकिन दिन के अंत तक वे अपना काम खत्म जरूर कर लेते हैं। कार्यस्थल पर चाहे वे पुरुष हो या महिला उनका मकसद कभी भी दूसरों को छोटा महसूस करवाना या दूसरों का निरादर करना नहीं होता है। 

कुंडली के चौथे भाव में राहु का व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव

कुंडली के चौथे भाव में राहु की स्थिति होने से व्यक्ति को आमतौर पर पेट, छाती और नितंब के आसपास चर्बी बढ़ने की समस्या हो सकती है। हालांकि यह समस्या पुरुषों के साथ होती जबकी महिलाएं इसके विपरीत पतली दुबली हो सकती है। इससे यह जाहिर होता है कि, राहु की इस स्थिति का महिलाओं के जीवन पर अलग प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा जातक को अपनी शादी -शुदा जिंदगी में किस तरह की कमी महसूस हो सकती है, ऐसा उनके पार्टनर की ख़राब लाइफस्टाइल की वजह से हो सकता है। ऐसे व्यक्ति मूल रूप से राजाओं की तरह बेहद स्वादिष्ट खाना खाने के शौकीन होते हैं। उन्हें इस बात का भी कोई फर्क नहीं पड़ता है की उनका शरीर मोटा हो रहा है। 36 साल की उम्र के बाद व्यक्ति को पेट और पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती है और 54 साल की उम्र तक वे इन समस्याओं का सामना करने के लिए दवा खाने के आदि बन चुके होते हैं और किसी भी तरह से पेट की दिक्कतों पर काबू पाना चाहते हैं। ऐसे व्यक्ति आमतौर पर एक ड्राइवर हो सकते हैं और किसी भी प्रकार की गलती होने या दुर्घटना के शिकार होने पर वे ऐसी स्थिति से जल्द से जल्द बाहर निकलने की चाह रखते हैं। वे खुद को चोट लगने या गाडी को नुकसान होने की स्थिति में इंश्योरेंस का सहारा लेना सबसे ज्यादा उचित समझते हैं। वे सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक और नैदानिक कामों में शामिल होकर आर्थिक लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति को संतान सुख के लिए अधिक जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती है। हालांकि प्रेग्नेंट महिला की कुंडली के चौथे भाव में राहु की स्थिति होने से उन्हें चौथे माह में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ सकती है। ऐसा बहुत बार होता है यदि राहु की अंतर्दशा मंगल या शनि महादशा पर चल रही हो या जब राहु गोचर भावों में हो जैसे कि 4, 5, या 12वें। ऐसी स्थिति में माता-पिता को आम दिनों से ज्यादा सतर्कता बरतनी चाहिए अन्यथा कोई अनहोनी हो सकती है। 

आप हमारी वेबसाइट से सभी भावों में राहु के प्रभावग्रहों के गोचर के बारे में भी पढ़ सकते हैं। साथ ही जन्मकुंडली, लव या अरेंज मैरिज में चुनाव, व्यवसायिक नामों के सुझावस्वास्थ्य ज्योतिषनौकरी या व्यवसाय के चुनाव के बारे में भी पढ़ सकते हैं।

ज्योतिष रहस्य