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चौथे भाव में शनि | Saturn in 4th house

आमतौर पर, यह लोगों के लिए एक जटिल स्थिति होती है जो व्यक्ति की बाल्यावस्था, यौवनावस्था, शुरुआती किशोरावस्था और किशोरावस्था में माता-पिता द्वारा प्राप्त सुरक्षा का विरोध करता है। पिता और माता के बीच दरार डालने वाले कई कारकों में, पिता का जीवन निर्वाह के लिए दूर के क्षेत्रों में जाना, पिता या माता के कामकाजी समय की अनियमितताओं के साथ ही, माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु, व्यक्ति का दत्तकग्रहण या गोद देना, दादा-दादी या चाचा/ मामा या मामी/चाची आदि के साथ रहने जैसे अन्य व्यक्तिगत परिस्थितिजन्य कारण हो सकते हैं। 

 

चौथे भाव में शनि का प्रभाव/ Effects of Saturn in the Fourth House

इसके अलावा, सामाजिक या कक्षा में साथी छात्रों की अपेक्षाओं के अनुरूप, उचित परवरिश या उचित स्कूली शिक्षा के लिए माता-पिता के साधनों की कमी जैसे अन्य मुद्दों के साथ ही, पिता या माता का दूसरा विवाह होने के कारण सौतेले माता-पिता या सौतेले भाई या बहन के साथ जीवन जीने जैसे कारण हो सकते हैं।  इसके अतिरिक्त, बाल्यावस्था या किशोरावस्था के आरंभ से ही शनि की महादशा के गुजरने पर, ये घटनाएँ और ज्यादा पीड़ादायक और असहनीय हो जाती हैं। चौथे भाव का शनि, संतान और माता-पिता में से किसी एक के बीच विसंगतियां देता है। माता-पिता में से किसी के अधिक दोषी नहीं होने पर भी, व्यक्ति अन्य गलतियों के लिए उनकी अवहेलना करता है या विरासत संबंधी समस्याएं, अक्सर संतान और माता-पिता दोनों के बीच दरार का कारण बनती है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि शनि, तब तक प्रसन्न नहीं होता जब तक व्यक्ति को माता-पिता से संबंधित किसी प्रकार का वैमनस्य प्रदान नहीं होता। 

 

व्यक्ति के अविवादित होने पर भी ऊपर वर्णित समस्याओं में से एक होने के कारण, प्राकृतिक या दत्तक माता-पिता के साथ संबंधों में तनाव रह सकता है क्योंकि शनि किसी व्यक्ति पर दया नहीं करते।

समस्या यह है कि भव-चालीतम् को शनि की चौथे भाव में स्थिति की पुष्टि करनी चाहिए क्योंकि शनि के, नवांश कुंडली में अपना चौथा स्थान बनाए रखने पर, स्थितियां और अधिक कष्टकारी हो सकती हैं। अनुभवों से पता चलता है कि ऐसे मामलों में, संतान के बारह वर्ष का होने से पहले ही, शनि से संबंधित धार्मिक उपाय करना हमेशा आसान रहता है तथा 23 वर्ष की शनि की महादशा या अंतर्दशा के हानिकारक प्रभावों को कम करता है।

 

चौथे भाव में शनि द्वारा अक्सर गिरना, फ्रैक्चर, यहां तक कि मृत्यु, हड्डी की चोटें, अंडकोष की विकृति या चोट, बाल्यावस्था या प्रारंभिक किशोरावस्था में हर्निया जैसी स्थितियां प्रदान किए जाने की संभावनाएं होती हैं जिसमें शुक्र, बुध या बृहस्पति की महादशा के पहले होने पर, ऐसी संभावनाएं अधिक रहती हैं जिससे यह करियर या कार्यों में बाधा, बिजनेस की शुरुआत और 23 या 35 वर्ष की आयु के बीच सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने पर, समस्याओं का कारण बनता है। जीवन के शुरुआती प्रारंभिक चरण में समस्याएँ उत्पन्न करने के बाद भी, शनि को प्रसन्नता नहीं मिलती और वह करियर, बिजनेस, कार्यों, औद्योगिक उद्यमों, बिजनस आदि से संबंधित मामलों का दुरुपयोग करने का प्रयास करते हैं। 

 

आखिर ऐसा क्यों होता है?  हानिकारक होने के कारण शनि, जिस भाव में पूर्ण दृष्टि रखता है, उस भाव को नुकसान या हानि पहुंचाता है। चौथे भाव में स्थित शनि की दसवें भाव पर पूर्ण दृष्टि पिता, आजीविका और राजनीति को नियंत्रित करती है। इसके अलावा चौथे भाव का शनि, व्यक्ति और परिवार दोनों के लिए असुविधाजनक दौरे और यात्राएं कराने के साथ ही, कार या परिवहन के साधनों द्वारा आकस्मिक क्षति देता है। शनि यहीं पर ही नहीं रुकता तथा घरेलू नौकरों, कामगारों और श्रमिकों के साथ ही अचानक ही घरेलू सहायिका द्वारा कार्य छोड़ देने पर असुविधा का कारण बनता है क्योंकि दूसरी सहायिक को व्यवस्थित होने में समय लगता है, जो व्यक्ति और उसके साथी के लिए पीड़ादायक होता है तथा वर्कर्स के हाथों चोरी, गबन और तोड़फोड़ से भी इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन, मां का जीवित होने से व्यक्ति की स्थिति अच्छी रहती है। शनि, मुद्रा के बजाय वस्तु के रूप में रिश्वत और अवैध ग्रेच्युटी की अनुमति देता है।

 

उदाहरण के लिए, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में कार्य-ठेकेदारों को पेमेंट-चेक भेजने वाला अवर श्रेणी का क्लर्क, जिसने कभी रिश्वत के रूप में एक भी रुपया नहीं लिया। लेकिन, वह चार मंजिला बड़े घर का निर्माण करने के लिए पूरे निर्माण का स्टॉक मंगवाकर, बिल्डरों से निर्माण तकनीशियनों और श्रम बल उधार लेकर निर्माण कराने में समर्थ था क्योंकि उसके चौथे भाव में  शनि और केतु थे।

 

इन अशुभ परिणामों के अलावा शनि, कुछ अनुकूल परिणाम भी प्रदान करता है। यह सामाजिक और मानवीय कारणों से, व्यक्ति को स्वयं के धन, आर्थिक और सक्रिय सहायता और दूसरों की मदद से निर्माण कार्य करने की इच्छा और क्षमता प्रदान करता है। इन उपक्रमों में स्कूल, कॉलेज, क्लीनिक, फार्मेसी, गरीबों के लिए रात्रि घर, विधवाओं और निराश्रित महिलाओं के लिए आवास, पीने का पानी, मानव और पशुओं के लिए तालाब और टैंक, पूजाघर, मैरिज हॉल आदि आते हैं, जिन्हें बनवाने के लिए यदि नागरिकों के पास अपनी आर्थिक क्षमता नहीं होती तो वे फंड के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। नि:संदेह, यह लोग सार्वजनिक उपयोगिता और सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पित होते हैं तथा देश या समाज की हर सक्रिय लड़ाई में, यह व्यक्ति विशेषज्ञ और विश्वसनीय जासूस और प्रतिनिधि के रूप में सेवा करने वाले विजयी योद्धा होते हैं।

 

वहीं, चौथे भाव में शनि के साथ शुक्र की संगति होने पर, यह शिपिंग उद्योग को छोड़कर ऑटोमोटिव, लोकोमोटिव, वायुयान उद्योगों में इन लोगों को मैकेनिक, वैज्ञानिक और टेक्नोक्रेट विशेषज्ञ बनाता है। हालांकि, यह अच्छे प्रशिक्षक नहीं होते लेकिन कुशल वक्ता, अच्छे सर्जन, आर्थोपेडिक डॉक्टर, तकनीशियन, संरचनात्मक इंजीनियर, कारीगर, राजमिस्त्री, आर्किटेक्ट, मूर्तिकार तथा ऊंचे भवन, राजमार्ग, पुल और बांध निर्माण श्रमिक भी बनाता है। इसके साथ ही, इन लोगों मे बाढ़, आपदाओं और अकाल प्रभावित लोगों, जनता और कुपोषित मवेशियों जैसी संकटपूर्ण स्थितियों में लोगों की सहायता करने की प्रवृत्ति और क्षमता भी होती है तथा सूखे और अकाल के मृत्यु पथ के समय, मवेशियों को चारा और अन्य खाद्य पदार्थों की आपूर्ति करने की पूरी कोशिश करते हैं। आमतौर पर, इनकी मित्रता पहली नज़र या पहली मुलाकात में न होकर धीरे-धीरे होने के कारण, ये लोग ईमानदार और सहयोग करने वाले अच्छे मित्र होते हैं। हालांकि, किसी मित्र द्वारा अपने साथ कुछ गलत करने पर, प्रतिशोध की स्पष्ट प्रवृत्ति होने पर भी, यह विरोधियों के प्रति प्रतिहिंसक नहीं होते।

 

इसके अतिरिक्त, विरासत में मिली या स्व-अर्जित आवासीय भूमि होने पर भी ये दूसरे शहर, राज्य, देश के निवासी होते हैं या नियोक्ता, सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा दिए गए आवास में रहने के कारण, इसमें निरंतर निवास का आनंद नहीं ले पाते हैं। निर्माण कार्य जैसे क्षेत्रों में संलग्न होने पर इन व्यक्तियों की, विश्वसनीय आवासों और सड़कों का निर्माण करने की संभावनाएं रहती हैं न कि इन दिनों भारत के हर शहर और कस्बे में विकास प्राधिकरणों द्वारा बनाए गए केवल अविश्वसनीय कबूतरखाने जैसे निर्माणों की। इसके साथ ही, इन नागरिकों के पास दूसरों के प्रति शिष्टाचार, नियोक्ता, पड़ोसियों या मित्रों के लिए स्वयं के वाहन की सुविधा होने पर भी यदि ये सड़क, ट्रेन या हवाई अड्डे पर फंसने का जोखिम उठाते हैं तो इसके लिए कुछ स्पष्टीकरण हो सकते हैं।

 

इसके साथ ही, शनि के आखिरी आघात के चलते इन लोगों के कमर, नितंबों और ऊपरी जांघों के चारों ओर अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है, जो उनके रक्त की आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालकर, एनजाइना संबंधी समस्याएं उत्पन्न करके अंततः, गंभीर हृदय रोग का कारण बन सकता है। हालांकि ये लोग, भोजन में ज्यादा मीन-मेख और कमियां निकालने वाले नहीं होते। वहीं, ये व्यक्ति स्वयं या दूसरों से संबंधित चिकित्सीय देखभाल के लिए, नियमित रूप से तत्पर नहीं होते और  इसे सहजतापूर्वक लेने की प्रवृत्ति रखते हैं। अतः, इन लोगों को नियमित रूप से सैर करने के लिए पैदल चलना और टहलना चाहिए। यह उन्हें कमर के दबाव और रीढ़ की हड्डी की परेशानी से बचाएगा और वजन को नियंत्रित रखने में मदद करेगा।

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