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मुख्य द्वार के लिए वास्तु

मुख्य द्वार के लिए वास्तु

किसी भी भवन के मुख्य द्वार वास्तु शास्त्र/vastu for main door में एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। कई सलाहकारों के अनुसार, वास्तु किसी स्थान की सफलता या विफलता में बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है - चाहे वह घर हो , कारखाना, कार्यालय परिसर या कोई अन्य निर्माण। इस लेख में, हम घर के मुख्य द्वार हेतु वास्तु पर विस्तार से चर्चा करेंगे। मुख्य द्वार का वास्तु बताता है कि इसका सही स्थान घर में रहने वालों के नाम, प्रसिद्धि, धन, समृद्धि, संपन्नता और स्वास्थ्य संबंधी विषयों में आपकी सहायता करता है।

लेकिन, यह लोगों के लिए प्रवेश बिंदु होने के साथ-साथ ऊर्जा, भाग्य और खुशी का भी केंद्र है। यह निवासियों को लाभ देने के अतिरिक्त, घर की दीर्घ आयु एवं खुशहाली की संभावना भी सशक्त करता है। यही कारण है कि मुख्य द्वार के वास्तु और इसके अन्य सभी पहलुओं की तुलना में अधिक महत्व दिया जाता है। आइए इस प्रकार के वास्तु को अच्छे से जानने का प्रयास करते हैं।

मुख्य द्वार हेतु वास्तु/Vastu for main door 

जैसा की पहले बताया गया है कि , मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार/ as per the main door vastu, यह लोगों के साथ ऊर्जाओं के लिए भी सकारात्मक और नकारात्मक प्रवेश बिंदु है। एक सही प्रकार से स्थित मुख्य द्वार घर में अनुकूलता लाएगा, साथ ही नकारात्मक लोगों के प्रवेश को भी प्रतिबंधित करेगा। घर के मुख्य द्वार हेतु सही वास्तु आवश्यक है क्योंकि यह घर के निवासियों पर भी प्रभाव डालता है। यह किस दिशा में है, इसका मुख किस दिशा में है, साथ ही इसका रंग और वहां बनी सीढ़ियां, सभी मुख्य द्वार के वास्तु में एक आवश्यक भूमिका निभाते हैं। वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुरूप निर्मित प्रवेश द्वार घर में धन, समृद्धि, सौभाग्य और खुशियाँ लाएगा। साथ ही, अगर इसका वास्तु सही नहीं है तो यह, परिवार में बीमारी , कलह, कर्ज और आर्थिक संकट को जन्म दे सकता है। 

क्षेत्र के अनुसार मुख्य प्रवेश द्वार हेतु वास्तु टिप्स/Vastu Tips for Main Entrance as per Zones

आईये एक नज़र डालते हैं कि मुख्य द्वार हेतु वास्तु के अनुसार/ as per vastu for main door कौन-कौन से नियम हैं। ऐसा करने के लिए, हम वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार के सर्वोत्तम स्थान के बारे में जानेंगे। आइए घर की दिशा के अनुसार शुभ और अशुभ क्षेत्रों को आधार बनाएं। आप आगे पढ़कर , इस कथन को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे।

उत्तर मुखी घर:शुभ क्षेत्र/ North Facing House: Auspicious Zones

यह स्पष्ट है कि यदि आप उत्तर मुखी घर/North Facing House के निवासी हैं, तो मुख्य प्रवेश द्वार भी इसी दिशा में होगा। हालांकि, आपके द्वार की दिशा के अतिरिक्त , मुख्य द्वार वास्तु अन्य बातों के अलावा, इसके स्थान को भी प्रमुखता देता है। उत्तर दिशा, वास्तु शास्त्र के अनुसार, धन और समृद्धि के देवता कुबेर को समर्पित है। इसी का परिणाम है कि कई लोग इस दिशा को अपने घर के निर्माण हेतु शुभ मानते हैं। फिर भी, वास्तविकता यह है कि स्थान की उपयुक्तता मुख्य द्वार के वास्तु पर काफी हद तक निर्भर है। इसलिए, भगवान कुबेर का आशीष प्राप्त करने हेतु उत्तर मुखी घर के प्रवेश द्वार का उचित स्थान पता होना चाहिए।

इस दिशा में ही कुल आठ ऊर्जा क्षेत्र हैं। हालांकि, यह जानना आवश्यक है कि इनमें से कौन सा वास्तु के अनुसार मुख्य प्रवेश द्वार के निर्माण हेतु अनुकूल है। यह हैं:

उत्तर मुखी घर:शुभ क्षेत्र/ North Facing House: Auspicious Zones

यह स्पष्ट है कि यदि आप उत्तर मुखी घर/North Facing House के निवासी हैं, तो मुख्य प्रवेश द्वार भी इसी दिशा में होगा। हालांकि, आपके द्वार की दिशा के अतिरिक्त , मुख्य द्वार वास्तु अन्य बातों के अलावा, इसके स्थान को भी प्रमुखता देता है। उत्तर दिशा, वास्तु शास्त्र के अनुसार, धन और समृद्धि के देवता कुबेर को समर्पित है। इसी का परिणाम है कि कई लोग इस दिशा को अपने घर के निर्माण हेतु शुभ मानते हैं। फिर भी, वास्तविकता यह है कि स्थान की उपयुक्तता मुख्य द्वार के वास्तु पर काफी हद तक निर्भर है। इसलिए, भगवान कुबेर का आशीष प्राप्त करने हेतु उत्तर मुखी घर के प्रवेश द्वार का उचित स्थान पता होना चाहिए।

इस दिशा में ही कुल आठ ऊर्जा क्षेत्र हैं। हालांकि, यह जानना आवश्यक है कि इनमें से कौन सा वास्तु के अनुसार मुख्य प्रवेश द्वार के निर्माण हेतु अनुकूल है। यह हैं:

विश्वकर्मा या मुख्या/Vishwakarma or Mukhya: मुख्य का शाब्दिक अर्थ है, 'सिर या मुख'। इस प्रकार, विश्वकर्मा जो वास्तुकार स्वामी हैं, जिन्हें स्वाभाविक तौर पर वास्तु शास्त्र के मुखिया के रूप में जाना जाता है, और यह ऐसी किसी भी इमारत के  मुख्य देवता है। यह स्थान के पीछे के मुख्य उद्देश्य को दर्शाता है, और इसलिए, यहां मुख्य द्वार बनाना,निवासियों की सभी इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण करता है।

भल्लाट/ Bhallat: भल्लाट का अर्थ है 'विशाल। वास्तु शास्त्र में, यह बहुतायत की शक्ति है। इसलिए इस ऊर्जा क्षेत्र के सक्रिय होने से की समृद्धि में वृद्धि होती है।इसके परिणामस्वरूप , यहां वास्तु के अनुरूप मुख्य द्वार/ as per main door vastu लगाने से यहां रहने वाले निवासियों को समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

सोम/soma: हिंदू धर्म के अनुसार सोम के विभिन्न अर्थ हैं। यह 'अमृत' या अमरता के अमृत का ही एक और नाम है और एक चमत्कारी औषधीय पेय भी है जो सभी समस्याओं को हल करता है, चाहे वह स्वास्थ्य से संबंधित हो या किसी और वजह से। यह भगवान चंद्र का दूसरा नाम भी है, लेकिन कभी-कभी इसका उपयोग भगवान कुबेर, शिव, विष्णु और यम देव के लिए भी किया जाता है। इसलिए मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार/ as per main door vastu यहां प्रवेश द्वार का निर्माण बहुत शुभफल देगा। नियमों के अनुसार, यह ऊर्जा क्षेत्र निवासियों को ऐसा आशीर्वाद देता है कि वह अपने सभी प्रयासों से लाभ प्राप्त करते हैं। जब वह यहां मुख्य द्वार का निर्माण करते हैं, तो वह जो कुछ भी कार्य करते हैं उसके फलने-फूलने और फ़ायदा पहुंचाने प्रबल संभावना होती है। इसके बावजूद, अधिकांश वास्तु सलाहकार यह सुझाव देते हैं कि यहां मुख्य द्वार का निर्माण तभी किया जाना चाहिए जब कोई आध्यात्मिक विकास चाहता हो।

दिति/Diti: प्रजापति दक्ष की पुत्री और ऋषि कश्यप की पत्नी, दिति, राक्षसों, यानी असुरों और मरुतों की माता है। वह एक व्यक्ति को अंतर्दृष्टि और उदार सोच प्रदान करती है। इस प्रकार, दिति क्षेत्र में मुख्य द्वार का निर्माण घर में रहने वालों के लिए बेहतर धारणा और दूरदर्शिता के साथ-साथ सफलता और समृद्धि दिला सकता है। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य बात है कि इनमें से दूसरा,नैतिक तरीकों से हासिल नहीं किया जा सकता। यह ऊर्जा क्षेत्र वास्तव में उत्तर पूर्व दिशा या ईशान कोण में पड़ता है। इस प्रकार, जब कोई विशेषज्ञ कहता है कि मुख्य द्वार वास्तु/ Main door vastu बताता है कि ईशान कोण अनुकूल है, तो उसका तात्पर्य केवल इस क्षेत्र से है।

उत्तर मुखी घर: अशुभ क्षेत्र/North Facing House: Inauspicious Zones

जैसा कि पहले बताया गया है , उत्तर दिशा के आठ ऊर्जा क्षेत्रों में से चार वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार के निर्माण हेतु अनुकूल हैं। हालांकि, अन्य चार क्षेत्र ऐसा करने पर अशुभ फल प्रदान कर सकते हैं, यहां एक अंतर्दृष्टि है कि यदि मुख्य द्वार यहां बनाया जाए तो यह चार क्षेत्र के परिणाम देंगे:

 

ऊर्जा क्षेत्र 

परिणाम 

रोग 

यहाँ के निवासियों को हड्डी संबंधी रोग, दरिद्रता और उनके शत्रुओं में वृद्धि हो सकती है। इसके अतिरिक्त, यहाँ रहने वालों की हत्या होने की भी प्रबल संभावना होगी।

नाग 

यहां प्रवेश द्वार का निर्माण करने से निवासियों को भौतिक सुख-सुविधाओं और उपभोग वस्तुओं की प्रबल इच्छा होगी। इससे उनके स्वभाव से जलन का समावेश भी होगा ।

भुजंग 

यहाँ मुख्य द्वार होने के कारण निवासियों को गुर्दा और आंखों से सम्बंधित रोग, और निरंतर सर्दी और खांसी हो सकती है। साथ ही परिवार में लगातार कलह और अनबन रहेगी।

अदिति 

इस ऊर्जा क्षेत्र में मुख्य द्वार निवासियों के जीवन में बाधाएं लेकर आ सकता है। इससे इनके शत्रुओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी और परिवार में अंतर्जातीय विवाह आम हो सकता है। इसके साथ ही, महिलाओं के विद्रोही होने की संभावना अधिक रहती है।

पूर्व मुखी घर: शुभ क्षेत्र/ East Facing House: Auspicious Zones

यह स्पष्ट है कि यदि आप पूर्वमुखी घर/ East facing house के निवासी हैं, तो मुख्य द्वार भी इसी दिशा में होना स्वाभाविक है। हालांकि, जैसा कि पहले ही बताया गया है, मुख्य द्वार का वास्तु इसके स्थान और अन्य चीजों के साथ अपनी दिशा को भी महत्व देता है। यह दिशा, वास्तु शास्त्र के अनुसार/ According to vastu, देवराज, स्वर्घाधिपति, और वर्षा और समृद्धि के देवता भगवान इंद्र को समर्पित है। इसके परिणामस्वरूप, बहुत से लोग घर के निर्माण हेतु पूर्व दिशा को भी शुभ मानते हैं। फिर भी, जैसा कि हमने कहा, स्थान की उपयुक्तता मुख्य द्वार के वास्तु पर बहुत हद तक निर्भर है। इसलिए, व्यक्ति को भगवान इंद्र का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु पूर्व मुखी घर/ East facing house के प्रवेश द्वार का उचित स्थान ज्ञात होना चाहिए।

इस दिशा में ही कुल आठ ऊर्जा क्षेत्र हैं। हालांकि, यह जानना जरूरी है कि इनमें से कौन सा क्षेत्र वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार के निर्माण हेतु शुभ और अनुकूल है। यह हैं:

पूर्व मुखी घर: शुभ क्षेत्र/ East Facing House: Auspicious Zones

यह स्पष्ट है कि यदि आप पूर्वमुखी घर/ East facing house के निवासी हैं, तो मुख्य द्वार भी इसी दिशा में होना स्वाभाविक है। हालांकि, जैसा कि पहले ही बताया गया है, मुख्य द्वार का वास्तु इसके स्थान और अन्य चीजों के साथ अपनी दिशा को भी महत्व देता है। यह दिशा, वास्तु शास्त्र के अनुसार/ According to vastu, देवराज, स्वर्घाधिपति, और वर्षा और समृद्धि के देवता भगवान इंद्र को समर्पित है। इसके परिणामस्वरूप, बहुत से लोग घर के निर्माण हेतु पूर्व दिशा को भी शुभ मानते हैं। फिर भी, जैसा कि हमने कहा, स्थान की उपयुक्तता मुख्य द्वार के वास्तु पर बहुत हद तक निर्भर है। इसलिए, व्यक्ति को भगवान इंद्र का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु पूर्व मुखी घर/ East facing house के प्रवेश द्वार का उचित स्थान ज्ञात होना चाहिए।

इस दिशा में ही कुल आठ ऊर्जा क्षेत्र हैं। हालांकि, यह जानना जरूरी है कि इनमें से कौन सा क्षेत्र वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार के निर्माण हेतु शुभ और अनुकूल है। यह हैं:

जयंत/Jayant: जयंत का शाब्दिक अर्थ है 'विजय'। वास्तु शास्त्र के अनुसार , यह वह शक्ति है जो सभी प्रयासों में सफलता सुनिश्चित करती है, क्योंकि यह व्यक्ति को जोश और ऊर्जा से परिपूर्ण कर देती है। इसके परिणामस्वरूप, यहां वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार लगाने से घर में रहने वालों की बेहतरी और समृद्धि के साथ-साथ उनके सामाजिक दायरे का भी विस्तार होगा।

इंद्र/Indra : इंद्र देवों के राजा हैं और वर्षा एवं समृद्धि के देवता होने के साथ-साथ हमारी सभी इंद्रियों को भी नियंत्रित करते हैं। वास्तु शास्त्र में, यह ऊर्जा क्षेत्र प्रशासन या नेतृत्व शक्ति के लिए भी ज़िम्मेदार है। इसके परिणामस्वरूप, यहां वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार होने से घर के निवासियों को प्रभावशाली लोगों, विशेषत: सरकारी अधिकारियों के संपर्क में आने में सहायता मिलेगी। अंततः, यह निवासियों के लिए समृद्धि, शक्ति एवं लाभ लाएगा।

पूर्व मुखी घर: अशुभ क्षेत्र/East Facing House: Inauspicious Zones

जैसा कि हमने पहले कहा है, वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार के निर्माण हेतु पूर्व दिशा में आठ ऊर्जा क्षेत्रों में से केवल दो ही इसके लिए अनुकूल हैं। हालांकि, अन्य छह क्षेत्र ऐसा करने पर अशुभ फल देंगे। यहां एक तीव्र अंतर्दृष्टि है कि यदि मुख्य द्वार यहां बनाया गया है तो छह क्षेत्र वहां रहने वाले लोगों के लिए क्या परिणाम लाएंगे:

 

ऊर्जा क्षेत्र 

परिणाम 

शिखी

शिखी ज्वाला का प्रतीक है, और इसलिए, यहां वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार का होना अग्नि या उससे जुड़ी किसी दुर्घटना का कारण बन सकता है। इससे यहाँ के  निवासियों को आर्थिक नुकसान और दुख होगा।

प्रजन्य 

इस ऊर्जा क्षेत्र में मुख्य द्वार होने के कारण निवासियों के अनावश्यक एवं फिजूल खर्चे में बढ़ोतरी होगी। जिसके चलते घर में दरिद्रता और दु:ख भी हो सकता है।

सूर्य

उग्र सूर्य समान इस ऊर्जा क्षेत्र में बना प्रवेश द्वार घर के लोगों में आक्रामक व्यवहार की प्रवृत्ति और अत्यधिक क्रोध को जन्म देता है। यह इस स्थान पर रह रहे पुरुषों को भी प्रभावित करता है और वह इसके अधीन हो जाते हैं और उनकी प्रासंगिकता खोने की भी संभावना बन जाती है। 

सत्य 

 

इसके अर्थ के विपरीत, ऊर्जा क्षेत्र में  यदि मुख्य द्वार है, तो यहाँ के निवासियों को झूठ बोलने, अपनी प्रतिबद्धताओं को पूर्ण ना कर पाने और चोरी में लिप्त होने की ओर ले जाएगा। इससे उनके और उनके मित्रों या व्यावसायिक सहयोगियों के मध्य अनबन भी हो सकती है।

वृष

इस ऊर्जा क्षेत्र में मुख्य द्वार घर होने पर यहाँ के निवासियों में अत्यधिक और अनुचित क्रोध भावना और यहां तक कि क्रूरता भी समावेश होगा। मुख्य द्वार के वास्तु के अनुसार, यह उनके क्रोध को हिंसक बना सकता है, व्यर्थ की सोच-विचार की प्रवृत्ति दे सकता है और तलाक भी करा सकता है।

अक्ष

मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार इस क्षेत्र में प्रवेश द्वार के निर्माण से घर में चोरी और निरंतर दुर्घटनाएं होती रहती  हैं। इससे निवासियों के जीवन में अचानक वित्तीय संकट भी आ सकता है है, और उनको सरकारी विभागों के चलते चिंताओं और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं।

दक्षिण मुखी घर: शुभ क्षेत्र/ South Facing House: Auspicious Zones

यह स्पष्ट है कि यदि आप दक्षिण मुखी घर/ South Facing House के निवासी हैं, तो मुख्य प्रवेश द्वार भी इसी दिशा में होना लगभग तय है। हालांकि, जैसा कि पहले बताया गया है, मुख्य द्वार वास्तु इसके स्थान और अन्य कारणों के साथ-साथ अपनी दिशा को भी महत्व देता है। दक्षिण दिशा, वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान यम, मृत्यु के के साथ-साथ न्याय और कानूनी मामलों के देवता को समर्पित है। इसके चलते कई लोग इसे अपना घर बनाने के लिए अशुभ दिशा मानते हैं। हालांकि, जैसा कि हमने कहा, स्थान की उपयुक्तता मुख्य द्वार वास्तु पर बहुत निर्भर करता है।

मानने की बात यह है कि, कई सफल व्यवसाय करने वालों के घर आमतौर पर दक्षिण दिशा में होते हैं। इसके अतिरिक्त , वास्तु के अनुसार कई कारखाने भी इस दिशा में होते हैं, और वे समृद्ध होते हैं। इसलिए, व्यक्ति को यह भान होना चाहिए कि दक्षिण मुखी घर/South Facing House के प्रवेश द्वार का उचित स्थान भगवान यम का आशीष  प्राप्त करने में सहायक हो सकता है और सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को आपके घर में प्रवेश करने से रोक सकता है। इस दिशा में कुल-मिलाकर आठ ऊर्जा क्षेत्र हैं। फिर भी, यह जानना आवश्यक है कि इनमें से कौन सा क्षेत्र वास्तु के अनुसार मुख्य प्रवेश द्वार के निर्माण हेतु शुभ और अनुकूल है। यह हैं:

दक्षिण मुखी घर: शुभ क्षेत्र/ South Facing House: Auspicious Zones

यह स्पष्ट है कि यदि आप दक्षिण मुखी घर/ South Facing House के निवासी हैं, तो मुख्य प्रवेश द्वार भी इसी दिशा में होना लगभग तय है। हालांकि, जैसा कि पहले बताया गया है, मुख्य द्वार वास्तु इसके स्थान और अन्य कारणों के साथ-साथ अपनी दिशा को भी महत्व देता है। दक्षिण दिशा, वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान यम, मृत्यु के के साथ-साथ न्याय और कानूनी मामलों के देवता को समर्पित है। इसके चलते कई लोग इसे अपना घर बनाने के लिए अशुभ दिशा मानते हैं। हालांकि, जैसा कि हमने कहा, स्थान की उपयुक्तता मुख्य द्वार वास्तु पर बहुत निर्भर करता है।

मानने की बात यह है कि, कई सफल व्यवसाय करने वालों के घर आमतौर पर दक्षिण दिशा में होते हैं। इसके अतिरिक्त , वास्तु के अनुसार कई कारखाने भी इस दिशा में होते हैं, और वे समृद्ध होते हैं। इसलिए, व्यक्ति को यह भान होना चाहिए कि दक्षिण मुखी घर/South Facing House के प्रवेश द्वार का उचित स्थान भगवान यम का आशीष  प्राप्त करने में सहायक हो सकता है और सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को आपके घर में प्रवेश करने से रोक सकता है। इस दिशा में कुल-मिलाकर आठ ऊर्जा क्षेत्र हैं। फिर भी, यह जानना आवश्यक है कि इनमें से कौन सा क्षेत्र वास्तु के अनुसार मुख्य प्रवेश द्वार के निर्माण हेतु शुभ और अनुकूल है। यह हैं:

विठथा/ viththa: घर के विठथा ऊर्जा क्षेत्र में वास्तु के अनुरूप , यहाँ मुख्य द्वार का निर्माण करने से घर के निवासियों को प्रसिद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इसके अतिरिक्त , यह उन्हें सभी प्रयासों में सफलता पाने हेतु पर्याप्त चातुर्य प्रदान करता है । हालांकि, दूसरी तरफ, वह इसे पूर्ण करने हेतु हर यथासंभव, नैतिक या अनैतिक साधन का उपयोग करना प्रारम्भ कर देते हैं।

यह इस प्रकार अपार समृद्धि लाता है। साम -दाम-दंड-भेद का उपयोग करके यहां रहने वाले लोग  अपना कार्य पूर्ण करने के लिए काफी बुद्धिमान  हो जाते हैं।

 

गृहक्षत/ Grahshat: यह देवता, जो परिभाषित करता है, अर्थात बृहत क्षम ऊर्जा क्षेत्र गृहक्षत का स्वामी है। मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार/As per main door vastu, किसी व्यक्ति  के मन पर शासन करते हैं। इसलिए, जब यहां मुख्य द्वार का निर्माण किया जाता है, तो यह निवासियों को अपने विचारों पर नियंत्रण देता है, जिससे वह अपने सभी प्रयासों में सफलता प्राप्त करते हैं। वास्तु के अनुसार ऐसा मुख्य प्रवेश बहुत शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि यह निवासियों को नाम, प्रसिद्धि, समृद्धि और संतान प्राप्ति का आशीष देता है। इसके अतिरिक्त , यह कारखाने के मुख्य द्वार हेतु भी शुभ होता है।

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दक्षिण मुखी घर: अशुभ क्षेत्र/ South facing house: Inauspicious zones 

जैसा कि पहले बताया गया है कि , दक्षिण दिशा में आठ ऊर्जा क्षेत्रों में से केवल दो ही वास्तु के अनुरूप मुख्य प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए अनुकूल हैं। हालांकि, अन्य छह क्षेत्र ऐसा करने पर अशुभ फल देंगे। यहां एक त्वरित अंतर्दृष्टि है कि यदि मुख्य द्वार का निर्माण यहाँ किया गया है तो छह क्षेत्र क्या परिणाम लेकर आयेंगे।

ऊर्जा क्षेत्र

परिणाम 

अनिल 

भगवान पवन के इस ऊर्जा क्षेत्र में  यदि मुख्य द्वार स्थित हो तो परिवार में धन का प्रवाह कमज़ोर हो जाता है। इसके अतिरिक्त , यह इस स्थान पर रहने वाले के लड़कों को भी प्रभावित करता है। निवासियों के स्वास्थ्य समस्याओं से दो-चार होने की भी संभावनाएं होती हैं।

पूष

 

वास्तु के अनुसार इस क्षेत्र में मुख्य द्वार की स्थापना इस घर के निवासियों का अपमान कारायेगी। हालांकि, दूसरी ओर, यह उन पेशेवरों के लिए काफी शुभ हो सकता है जो कभी भी स्वयं का व्यवसाय नहीं करना चाहते। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस ऊर्जा क्षेत्र वाला द्वार निवासियों को केवल दूसरों के लिए काम करने को प्रेरित करता है, खुद के लिए नहीं।

यम 

इस ऊर्जा क्षेत्र का आधिपत्य मृत्यु और दिवंगतों के देवता द्वारा की जाती है। इसके परिणामस्वरूप मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार यदि इस क्षेत्र प्रवेश द्वार का निर्माण होता तो यह घर में रोग और मृत्यु लाएगा, यह विशेषतः एक अशुभ प्रवेश द्वार है, और यह निवासियों के कर्ज और वित्तीय बोझ में भी वृद्धि लाता है।

गंधर्व

इस ऊर्जा क्षेत्र में मुख्य द्वार पाचन तंत्र और मानसिक अस्थिरता सम्बंधित रोगों का कारण बनेगा। इसके अतिरिक्त,  यहाँ के निवासियों को वित्तीय स्थिरता पाने हेतु निरंतर संघर्ष करना पड़ सकता है जो दुष्कर होगा, क्योंकि इस क्षेत्र में मुख्य द्वार की स्थापना से परिवार में बहुत तेज़ी से निर्धनता अपने पैर पसार लेती है।

भृंगराज

इस ऊर्जा क्षेत्र में मुख्य द्वार के निर्माण के कारण यहाँ के निवासियों को धन के अपव्यय के अतिरिक्त और कुछ नहीं प्राप्त नहीं होगा। उनके द्वारा किए गए सभी उपाय व्यर्थ होंगे, और वह अपनी आय को भी समाप्त कर देंगे। इसके अतिरिक्त , यहाँ के निवासियों के रिश्तों से संबंधित समस्याओं के कारण परेशान होने की भी संभावना है।

मृग 

इस ऊर्जा क्षेत्र में मुख्य प्रवेश द्वार का निर्माण कराने की स्थिति व्यक्ति द्वारा उठाये गए सबसे हानिकारक कदमों में से एक होगी क्योंकि ऐसा   घर और उसके निवासियों की अन्य संपत्तियां बिक जाएगा। इसकी सर्वाधिक संभावना उन निवासियों के लिए होगी  जो भारी वित्तीय नुकसान से जूझ रहे हैं,  और जिससे वह उभर नहीं पाएंगे।

पश्चिम मुखी घर: शुभ क्षेत्र/  West facing houses: Auspicious zones

जाहिर है अगर आप पश्चिम मुखी घर/ West facing house के निवासी हैं तो मुख्य द्वार भी इसी दिशा में होना स्वाभाविक है। हालांकि, जैसा कि पहले बताया गया है, मुख्य द्वार वास्तु/Main door vastu इसके स्थान और अन्य कारणों के साथ-साथ अपनी दिशा को भी महत्व देता है। पश्चिम दिशा, वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान वरुण, समुद्रों और समुद्र के देवता होने के साथ-साथ भाग्य और प्रसिद्धि को भी समर्पित है। लेकिन, इसके अतिरिक्त, पश्चिम को अंधकार की दिशा भी माना जाता है, जहां सूर्यास्त होता है। जैसे पूर्व, जहां सूर्य का उदय होता है, वह प्रकाश की दिशा है। इसी का परिणाम है कि कई लोग इसे अपने घर का निर्माण करने हेतु अशुभ दिशा मानते हैं। फिर भी, जैसा कि हमने कहा,  स्थान की उपयुक्तता मुख्य द्वार वास्तु पर बहुत अधिक आश्रित है।

असल में, इस दिशा में वास्तु के अनुसार अनुकूल मुख्य प्रवेश द्वार ऐसे घर के निवासियों हेतु समृद्धि और वित्तीय सफलता ला सकता  है। इसलिए, व्यक्ति को इस बात का इल्म होना चाहिए कि पश्चिम मुखी घर के मुख्य द्वार का उचित स्थान भगवान वरुण का आशीश प्राप्त करने में मदद कर सकता है और सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को घर में प्रवेश करने से रोक सकता है। इस दिशा में कुल आठ ऊर्जा क्षेत्र हैं। हालांकि, यह जानना जरूरी है कि इनमें से कौन सी दिशा  वास्तु के अनुसार मुख्य प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए शुभ और अनुकूल है। यह हैं:

पश्चिम मुखी घर: शुभ क्षेत्र/  West facing houses: Auspicious zones

जाहिर है अगर आप पश्चिम मुखी घर/ West facing house के निवासी हैं तो मुख्य द्वार भी इसी दिशा में होना स्वाभाविक है। हालांकि, जैसा कि पहले बताया गया है, मुख्य द्वार वास्तु/Main door vastu इसके स्थान और अन्य कारणों के साथ-साथ अपनी दिशा को भी महत्व देता है। पश्चिम दिशा, वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान वरुण, समुद्रों और समुद्र के देवता होने के साथ-साथ भाग्य और प्रसिद्धि को भी समर्पित है। लेकिन, इसके अतिरिक्त, पश्चिम को अंधकार की दिशा भी माना जाता है, जहां सूर्यास्त होता है। जैसे पूर्व, जहां सूर्य का उदय होता है, वह प्रकाश की दिशा है। इसी का परिणाम है कि कई लोग इसे अपने घर का निर्माण करने हेतु अशुभ दिशा मानते हैं। फिर भी, जैसा कि हमने कहा,  स्थान की उपयुक्तता मुख्य द्वार वास्तु पर बहुत अधिक आश्रित है।

असल में, इस दिशा में वास्तु के अनुसार अनुकूल मुख्य प्रवेश द्वार ऐसे घर के निवासियों हेतु समृद्धि और वित्तीय सफलता ला सकता  है। इसलिए, व्यक्ति को इस बात का इल्म होना चाहिए कि पश्चिम मुखी घर के मुख्य द्वार का उचित स्थान भगवान वरुण का आशीश प्राप्त करने में मदद कर सकता है और सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को घर में प्रवेश करने से रोक सकता है। इस दिशा में कुल आठ ऊर्जा क्षेत्र हैं। हालांकि, यह जानना जरूरी है कि इनमें से कौन सी दिशा  वास्तु के अनुसार मुख्य प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए शुभ और अनुकूल है। यह हैं:

सुग्रीव/sugreev: सुग्रीव हिंदू धर्म में वानरों के राजा हैं, जबकि वास्तु इस ऊर्जा क्षेत्र को उस शक्ति के रूप में परिभाषित करता है जो हर प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने में सहायता करती है। इसलिए, यहां वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार की स्थिति व्यापारियों, उद्यमियों और व्यवसायी हेतु बेहद अनुकूल होगी, जिन्हें निरंतर सीखने और बढ़ने की ललक है। यह घर के बच्चों की शिक्षा में भी सहायता करता है और शिक्षण संस्थान खोलने हेतु भी लाभकारी हो सकता है। इसके अतिरिक्त यहां का मुख्य द्वार निवासियों को धन और समृद्धि प्रदान करने में सहायक होता है।

पुष्पदंत/ Puspdant: पुष्पदंत, धन के देवता भगवान कुबेर, और महासागरों और समुद्रों के देवता भगवान वरुण, के अधीनस्थ हैं। वास्तु में, ऊर्जा क्षेत्र उस शक्ति का प्रतीक है जो किसी की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने के साथ-साथ आशीष प्राप्त करने में सहायता करती है।इसके परिणामस्वरूप, यहां वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार लगाने से निवासियों को समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होने कारण उनका परिवार सुखी और स्वस्थ रहेगा।

वरुण/Varun: भगवान वरुण महासागरों और समुद्रों के साथ-साथ प्रतिष्ठा और भाग्य क भी देवता हैं। कुछ ग्रंथों में उन्हें अमरता का दाता भी माना गया है। इसके परिणामस्वरूप , जब यहां वास्तु के अनुसार मुख्य प्रवेश द्वार का निर्माण होता है, तो निवासियों को धन और सौभाग्य दोनों का आशीर्वाद मिलता है। हालांकि, ऐसा प्रवेश द्वार लोगों के लिए मिश्रित परिणाम देगा , और निवासी अति महत्वाकांक्षी हो सकते हैं, जिससे उनके पतन की गति बढ़ सकती है।

पश्चिम मुखी घर: अशुभ क्षेत्र/ West facing house: Inauspicious Zones

जैसा कि पहले बताया गया है कि, पश्चिम दिशा में आठ ऊर्जा क्षेत्रों में से केवल तीन ही वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार के निर्माण हेतु अनुकूल हैं। हालांकि, अन्य पांच क्षेत्र ऐसा करने पर अशुभ फल प्रदान करते हैं। यहां एक तीव्र अंतर्दृष्टि है कि यदि मुख्य द्वार इसी दिशा में बनाया गया है तो पांच क्षेत्र क्या परिणाम लेकर आयेंगे:

 

ऊर्जा क्षेत्र 

परिणाम

पितृ

इस ऊर्जा क्षेत्र में वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार का निर्माण से घर में दरिद्रता आएगी। इसके अतिरिक्त,  यहाँ के निवासियों के जीवन में अस्थिरता रहेगी। वह निरंतर आर्थिक तंगी से ग्रसित रहेंगे। यह एक अशुभ द्वार है क्योंकि यह निवासियों की दीर्घ आयु में भी कमी ला सकता है।

द्वारिक

वास्तु के अनुसार, जब यह ऊर्जा क्षेत्र मुख्य द्वार का स्थान होता है, तो निवासियों के प्रेम एवं पेशेवर जीवन दोनों में अनिश्चितता और असुरक्षा लेकर आता है। इसके अतिरिक्त , घर की महिलाओं को भी अशुभ प्रभावों के कारण कई समस्याओं से जूझना पड़ेगा।

असुर 

असुर हिंदू धर्म के अनुसार असुर राक्षस हैं। इसी कारण से, इस ऊर्जा क्षेत्र में मुख्य द्वार का निर्माण कामकाजी  निवासियों हेतु बुरी किस्मत और खराब स्वास्थ्य लाएगा। लोग प्रतिदिन छोटे-छोटे कामों के चलते स्वयं को आसानी से थका देंगे। उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में कमी होगी और आसानी से बीमारियों से ग्रसित हो जायेंगे। 

शोश

सोश एक रोग है जिसके बारे में आयुर्वेद में बताया गया है। इसलिए, इस ऊर्जा क्षेत्र में वास्तु के अनुसार मुख्य प्रवेश द्वार का निर्माण इस बीमारी को लोगों के जीवन में प्रवेश की अनुमति देगा। इसके परिणामस्वरूप , निवासी  खुद को शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करेंगे, और मृत्यु जैसी भावना उनसे दूर रहेगी। घर में नशे की लत, भारी नुकसान, जीवन के विभिन्न पहलुओं में विलंब, और बुरी किस्मत की भी संभावनाएं हो सकती हैं।

पापक्षमा

पापक्षमा व्यसन, रोग और अपराध से सम्बंधित ऊर्जा है।इसलिए , यहां मुख्य प्रवेश द्वार का निर्माण दुःख एवं त्वचा रोगों को आमंत्रण देगा। इसके अतिरिक्त , इस घर के निवासी अनैतिक और गैरकानूनी तरीकों से बढ़ने का मार्ग तलाशने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वह आमतौर पर न्याय प्रणाली में फंस जाते हैं।

 
       

नोटNote/: वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार का निर्माण करते समय सदा-सर्वदा प्रयास करना चाहिए कि इसे दक्षिण-पश्चिम दिशा में निर्मित ना करें। कई लोग अभी भी मानते हैं कि मुख्य द्वार वास्तु/Main door vastu उपायों के माध्यम से इसके प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है। इसे पीतल के तार द्वारा अवरुद्ध करके प्राप्त कर सकते है। कई वास्तु सलाहकार भी लोगों को इसी तरह की अन्य सलाह देते हैं। हालांकि, यदि संभव हो तो ऐसे घर से बचना सदा-सर्वदा सबसे बेहतर विकल्प होता है।

मुख्य द्वार के लिए वास्तु टिप्स/ Vastu Tips for Main Door

अब जब हमें यह ज्ञात है  कि हमें अपना प्रवेश द्वार कहाँ निर्मित करना चाहिए, यहाँ मुख्य द्वार के सम्बन्ध में  स्मरण रखने हेतु कुछ और महत्वपूर्ण वास्तु युक्तियाँ दी गई हैं। आइए हम मुख्य द्वार वास्तु के क्या करें और क्या न करें इसके के विषय में चर्चा करते हैं:

मुख्य द्वार के लिए वास्तु टिप्स/ Vastu Tips for Main Door

अब जब हमें यह ज्ञात है  कि हमें अपना प्रवेश द्वार कहाँ निर्मित करना चाहिए, यहाँ मुख्य द्वार के सम्बन्ध में  स्मरण रखने हेतु कुछ और महत्वपूर्ण वास्तु युक्तियाँ दी गई हैं। आइए हम मुख्य द्वार वास्तु के क्या करें और क्या न करें इसके के विषय में चर्चा करते हैं:

मुख्य प्रवेश वास्तु के लिए क्या करें/Do’s for Main Entrance Vastu

मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार/As per main door vastu, यहां उन चीजों का दर्ज किया गया है जिन्हें आपको अपने घर के निर्माण के दौरान सदा स्मरण रखना चाहिए:

  • मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार/As per main door vastu, प्रवेश द्वार सदा घर के सभी द्वारों में सबसे विशाल होना चाहिए।
  • यदि आपका घर उत्तर मुखी/ North facing है, तो मुख्य द्वार हेतु वास्तु/ Vastu for main door का रंग भूरा, काला, नीला आदि रंगों का होना चाहिए।
  • इसी प्रकार , पूर्वमुखी घर/East facing house के लिए, मुख्य द्वार वास्तु/ main door vastu की बनावट में कहा गया है कि इसका रंग हरा या भूरा होना चाहिए।
  • मुख्य द्वार हेतु कुछ वास्तु टिप्स में कहा गया है कि दक्षिण मुखी घर/ South facing house के लिए लाल, मैरून, भूरा और नारंगी रंग का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • इसी प्रकार, पश्चिम मुखी घर/ West facing house के मुख्य द्वार हेतु वास्तु रंग धूसर, सफेद और अन्य धातु रंगों के विभिन्न रंगों का होगा।
  • सदा-सर्वदा हमें  सुनिश्चित करना चाहिए कि मुख्य द्वार पर उचित और पर्याप्त रोशनी हो।
  • वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार के खुलने की दिशा सदा दक्षिणावर्त होनी चाहिए।
  • वास्तु के अनुसार अपने घर का  मुख्य द्वार के निर्माण हेतु सामग्री चुनते समय, धातु के बजाय लकड़ी का प्रयोग सर्वाधिक उपयुक्त होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लकड़ी में उच्च ऊर्जा कंपन मौजूद होता है, क्योंकि यह एक प्राकृतिक सामग्री है।
  • जब आप अपने घर में प्रवेश करते हैं, तो वास्तु के अनुसार आपके नाम की तख्ती मुख्य प्रवेश द्वार के दायें ओर होनी चाहिए।

मुख्य प्रवेश वास्तु के लिए क्या न करें/ Don’ts for Main Entrance Vastu

मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार/As per the main door vastu, यहां उन चीजों की एक सूची दी गई है, जिन्हें आपको अपने घर के मुख्य द्वार के निर्माण के दौरान हमें सदा बचना चाहिए:

  1. जब इसे खोला या बंद किया जाए, तो घर के मुख्य द्वार में से चीखने जैसी ध्वनि नहीं आनी चाहिए।
  2. मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार /As per the main door vastu, प्रवेश द्वार की सीध में जूते का रैक नहीं रखना चाहिए।
  3. घर का मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार कभी भी सीधे आपके लिविंग रूम में नहीं खुलना चाहिए। इसलिए, मेहमान-कक्ष से पहले एक बरामदा, छोटा मार्ग, या एक एक छोटा बगीचा होना बेहतर है।
  4. वास्तु के अनुसार यदि आप मुख्य द्वार के बाहर देवी-देवताओं की प्रतिमा न रखना  सबसे बेहतर होगा।
  5. आपके घर के मुख्य द्वार का मुख तिराहे की ओर नहीं होना चाहिए।
  6. वास्तु के अनुसार/As per vastu प्रवेश द्वार के ठीक सामने कूड़ेदान या कोई कचरा पेटी कभी नहीं रखना चाहिए।
  7. मुख्य द्वार हेतु विशिष्ट वास्तु टिप्स के अनुसार, यदि आपके घर का  प्रवेश द्वार टूटा हुआ या क्षतिग्रस्त है, तो आपको इसकी तुरंत  मरम्मत करानी या आवश्यकता अनुसार इसे बदल देना चाहिए।
  8. यदि आपका घर पश्चिम दिशा में है तो वास्तु के अनुसार उसके मुख्य द्वार के बाहर कोई पौधा नहीं लगाना चाहिए।

मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार/ according to main door vastu आपके घर का प्रवेश द्वार कभी सीधे लिफ्ट या सीढ़ी की ओर नहीं होना चाहिए। हालाँकि, कई लोगों का मत ​​है कि वहाँ दर्पण लगाने से कोई भी हानिकारक ऊर्जा ख़त्म हो जाती है, हालाँकि, यह पूर्ण रूप से सत्य  नहीं है। इसके अतिरिक्त, यदि आप मुख्य प्रवेश द्वार और उसके आस-पास दर्पण लगाने हेतु सावधान रहते हैं तो यह इसमें आपकी सहायता करेगा।

मुख्य प्रवेश वास्तु के लिए क्या न करें/ Don’ts for Main Entrance Vastu

मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार/As per the main door vastu, यहां उन चीजों की एक सूची दी गई है, जिन्हें आपको अपने घर के मुख्य द्वार के निर्माण के दौरान हमें सदा बचना चाहिए:

  1. जब इसे खोला या बंद किया जाए, तो घर के मुख्य द्वार में से चीखने जैसी ध्वनि नहीं आनी चाहिए।
  2. मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार /As per the main door vastu, प्रवेश द्वार की सीध में जूते का रैक नहीं रखना चाहिए।
  3. घर का मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार प्रवेश द्वार कभी भी सीधे आपके लिविंग रूम में नहीं खुलना चाहिए। इसलिए, मेहमान-कक्ष से पहले एक बरामदा, छोटा मार्ग, या एक एक छोटा बगीचा होना बेहतर है।
  4. वास्तु के अनुसार यदि आप मुख्य द्वार के बाहर देवी-देवताओं की प्रतिमा न रखना  सबसे बेहतर होगा।
  5. आपके घर के मुख्य द्वार का मुख तिराहे की ओर नहीं होना चाहिए।
  6. वास्तु के अनुसार/As per vastu प्रवेश द्वार के ठीक सामने कूड़ेदान या कोई कचरा पेटी कभी नहीं रखना चाहिए।
  7. मुख्य द्वार हेतु विशिष्ट वास्तु टिप्स के अनुसार, यदि आपके घर का  प्रवेश द्वार टूटा हुआ या क्षतिग्रस्त है, तो आपको इसकी तुरंत  मरम्मत करानी या आवश्यकता अनुसार इसे बदल देना चाहिए।
  8. यदि आपका घर पश्चिम दिशा में है तो वास्तु के अनुसार उसके मुख्य द्वार के बाहर कोई पौधा नहीं लगाना चाहिए।

मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार/ according to main door vastu आपके घर का प्रवेश द्वार कभी सीधे लिफ्ट या सीढ़ी की ओर नहीं होना चाहिए। हालाँकि, कई लोगों का मत ​​है कि वहाँ दर्पण लगाने से कोई भी हानिकारक ऊर्जा ख़त्म हो जाती है, हालाँकि, यह पूर्ण रूप से सत्य  नहीं है। इसके अतिरिक्त, यदि आप मुख्य प्रवेश द्वार और उसके आस-पास दर्पण लगाने हेतु सावधान रहते हैं तो यह इसमें आपकी सहायता करेगा।

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