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ज्योतिष में देवेंद्र योग/ Devendra Yoga in Astrology

स्थिर राशि में लग्न के साथ ही, लग्न का स्वामी ग्यारहवें भाव में हो या ग्यारहवें भाव का स्वामी लग्न में या 

दूसरे भाव का स्वामी दसवें भाव में तथा दसवें भाव का स्वामी दूसरे भाव में होने पर, देवेंद्र योग/ Devendra Yoga in Astrology बनता है।

परिणाम/ Results

देवेंद्र योग में जन्मे व्यक्ति जीवन भर आनंदित, संपन्न और सभी प्रकार के सुखों से संतुष्ट रहते हैं। इस योग में जन्मे व्यक्ति शारीरिक रूप से आकर्षक होते हैं और वह एक राजा के समान प्रतिष्ठित जीवन व्यतीत करते हैं।

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लग्न और ग्यारहवें भाव के स्वामी द्वारा भावों की अदला-बदली करने का अर्थ होता है- संतुष्टि अर्थात सब कुछ एक समान होना। स्थिर राशि में वृद्धि होने और दसवें भाव में द्वितीयेश, व्यक्ति को भारी लाभ प्राप्त करने के लिए अत्यधिक पेशेवर बनाता है। इन भावों के स्वामियों की उग्रता, कुंडली की स्थिति पर निर्भर करती है।

स्थिर राशि लग्न तथा लग्नेश के लग्न में होने, द्वितीयेश बुध दसवें भाव में, दशमेश दूसरे भाव में तथा ग्यारहवें भाव के स्वामी का उग्र रूप में लग्न में होने वाली यह व्यवस्था, केवल वृश्चिक लग्न के लिए ही संभव होती है तथा वृषभ और सिंह राशि के लिए कम होती है। वहीं, वृषभ लग्न के व्यक्ति,लग्न में शुक्र और द्वितीयेश बुध के दसवें भाव में होने के गंभीर अवसरों के लिए बुध और शुक्र को अधिकतम 28° पर तथा सूर्य से 48 डिग्री दूरी पर होना चाहिए। सिंह लग्न के लिए, दूसरे और ग्यारहवें भाव का स्वामी बुध है इसलिए वह लग्न और दसवें भाव में एक साथ कैसे हो सकता है? इसी तरह कुम्भ लग्न के लिए, दूसरे और ग्यारहवें भाव का स्वामी बृहस्पति होता है।

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