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ज्योतिष में गंधर्व योग/ Gandharva Yoga in Astrology

गंधर्व योग को एक मानसिक भाव माना जाता है जो  दशमेश के काम त्रिकोण में होने, लग्न और बृहस्पति के अच्छी युति में होने के साथ ही, सूर्य के बलवान और उच्च का होने तथा चंद्रमा के नवम भाव में स्थित होने पर  बनता है।

इसके अलावा, इस योग के निर्माण के लिए अशुभ ग्रहों को पांचवें और नौवें भाव में होना चाहिए। दशमेश और लग्नेश की युति में बृहस्पति  के साथ शक्तिशाली सूर्य पूजन राशि में हो तथा चंद्रमा नौवें भाव में हो, तो इस तरह निर्मित हुआ मेल गंधर्व योग बनाता है।

परिणाम/ Results

गंधर्व योग के अंतर्गत जन्मे व्यक्ति ज़िद्दी, लड़ाकू, आकर्षक, पराक्रमी, सभी दुखों से बाहर निकलने वाला और कुछ हद तक कठोर होते हैं।

टिप्पणियाँ/ Comments

अशुभ ग्रहों के साथ नौवें भाव में स्थित चंद्रमा और पांचवां व्यक्ति को बलवान, हठी और लड़ाकू बनाने में अपना योगदान देता है। लग्नेश के साथ उच्च का सूर्य और बृहस्पति, व्यक्ति को राजसी व्यक्तित्व वाला और चालाक बनाता है।

किसी भी व्यक्ति की कुंडली में गंधर्व योग के निर्माण के कारण कई सारे परिणाम प्राप्त होते हैं। चलिए उनमें से कुछ के बारे में आपको संक्षेप में बताते हैं। जिस व्यक्ति कि कुंडली में इस योग का निर्माण होता है उसकी संचार क्षमता और वैवाहिक जीवन अच्छा रहता है। व्यक्ति व्यावसायिक गतिविधियों के माध्यम से धन कमाने में सक्षम होता है, और पेशेवर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। इसके साथ साथ व्यक्ति का आध्यात्म में भी मन लगा रहता है। इस पूरे व्याख्या से आप यह निषकर्ष निकाल सकते हैं कि जिस भी व्यक्ति की कुंडली में इस योग का निर्माण होता है उसका जीवन खुशियों से भरा रहता है।

आप ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के योगों, विभिन्न कुंडली दोषों, सभी 12 ज्योतिष भावों, ग्रहों के गोचर और इसके प्रभावों के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं।

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