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ज्योतिष में इंद्र योग/ Indra Yoga in Astrology

चन्द्रमा से तीसरे भाव में मंगल तथा मंगल से सातवें भाव में शनि, शनि से सातवें भाव में शुक्र के साथ ही, शुक्र से सातवें भाव में बृहस्पति के स्थित होने पर, ज्योतिष में इंद्र योग/ Indra Yoga in Astrology बनता है।

परिणाम/ Results

आपने यह तो जान ही लिया है कि इस योग का निर्माण कैसे होता है। चलिए अब जानते हैं कि इस योग के निर्माण से किस प्रकार के लाभ देखने को मिलते हैं। इस योग के अंतर्गत जन्मे व्यक्ति सुशील, प्रशंसनीय, उच्च पद के योग्य, प्रेरक, संपन्न, प्रतिष्ठित और कुशल  स्वामित्व वाले होते हैं। कुल मिलाकर वह अच्छे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति होते हैं और उन्हे अपने जीवन में अपार प्रशंसा मिलनी तय होती है।

टिप्पणियां/ Remarks 

इस रेखांकन में, चंद्रमा से तीसरे और नौवें भाव में चार ग्रह स्थित होते हैं जो आमतौर पर, स्वयं के मार्गदर्शन द्वारा उनकी दृढ़ता और भाग्य को सबल बनाते हैं।

आप ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के योगों, विभिन्न कुंडली दोषों, सभी 12 ज्योतिष भावों, ग्रहों के गोचर और इसके प्रभावों के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं।

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