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ज्योतिष में शकट योग/ Sakata Yoga in Astrology

बृहस्पति और चंद्रमा, एक-दूसरे से छठे और आठवें भाव पर हों तथा बृहस्पति के लग्न से चतुर्थांश में न होने पर, ज्योतिष में शकट योग/Sakata yoga in Astrology बनता है।

परिणाम/ Results 

शकट योग के अंतर्गत जन्मे व्यक्ति, अच्छे परिवार से होने के बाद भी गरीबी से ग्रसित होने के कारण, गरीबी  भोगने के साथ ही, एक अनावश्यक जीवन व्यतीत करते हैं तथा ईश्वर द्वारा निरंतर कष्टमय और द्वेषपूर्ण  रहते हैं। ऐसे व्यक्ति हमेशा अपने दुखों से ग्रसित रहते हैं और हमेशा एक अच्छे और सफल जीवने की कामना करते हैं। 

टिप्पणियां/ Remarks 

हालांकि बृहस्पति, लग्न से त्रिगुट में सम्मिलित नहीं होता इसलिए बृहस्पति के छठे भाव में होने के कारण, चंद्रमा को कोई बल प्राप्त नहीं होता। परिणामस्वरूप, वह अतिरिक्त रूप से किसी नियम के अनुरूप इस योग के रेखाचित्र में सहयोगी नहीं होता। इसी प्रकार, चंद्र राशि भी धन के कारक भाग्यशाली बृहस्पति से बंधी हुई नहीं होती। आमतौर पर शकट योग के प्रभावों को ज्यादा लोग नजरअंदाज कर देते हैं। यह लग्नेश, सूर्य, ग्यारहवें और दूसरे भाव के स्वामियों की युति के अलावा, लग्न से पांचवें या नौवें में बृहस्पति की स्थिति जैसे कई चरणों का प्रत्यक्ष परिणाम डाल सकता है। गतिशील चंद्रमा और बृहस्पति के एक-दूसरे से छठे या आठवें भाव पर होने के बावजूद भी कुंडली में शकट योग के प्रभाव स्पष्ट रहते हैं। 

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