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ज्योतिष में सरस्वती योग/ Saraswati Yoga in Astrology

हमेशा से ही, ग्रह और उनकी स्थिति कई लोगों की जिज्ञासा का केंद्र रही है। ज्योतिषियों द्वारा ग्रहों के अध्ययन से पता चला है कि जब कोई ग्रह वैदिक कुंडली में स्थान प्राप्त करती है, तो वह योग का निर्माण करती है। वैदिक ज्योतिष में सैकड़ों योग हैं जिनकी कुंडली में उपस्थिति या अनुपस्थिति, व्यक्ति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। इनमें से ऐसा ही एक महत्वपूर्ण योग, सरस्वती योग है।

देवी सरस्वती ज्ञान और बुद्धि देने वाली हैं, इसलिए यदि किसी व्यक्ति की ग्रह स्थिति, सरस्वती योग के अनुकूल होती हैं तो उसे ज्ञानी और धनवान बनने के अच्छे अवसर मिलते हैं।

बृहस्पति, बुध और शुक्र पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में संयुक्त या स्वतंत्र रूप से होने के साथ ही, स्वयं की उच्च या अनुकूल राशि में स्थित बृहस्पति, सरस्वती योग बनाते हैं।

परिणाम/ Result

सरस्वती योग के अंतर्गत जन्मे व्यक्ति काव्य और शास्त्रों के जानकार, बुद्धिमान, सभी के द्वारा प्रशंसनीय और व्यावहारिक रूप से सभी क्षेत्रों में अपने लाभ का प्रदर्शन करने वाले होते हैं। इसके अलावा, धनवान होने के साथ ही, अच्छे जीवनसाथी और अच्छी संतान का सुख पाते हैं। 

टिप्पणियाँ/ Comments

सरस्वती योग में, ग्रहों की संरचना द्वारा इस योग की खोज करना कोई असाधारण बात नहीं है। चतुर्थांश में लाभकारी त्रिकोण, दैनिक जीवन में किसी न किसी मुकाम को हासिल करने के अंतर को प्रभावित करते हैं। संपन्नता और आनंद का ग्रह बृहस्पति, राशि की स्थिति में प्रभावशाली होना चाहता है। यह माना जाता है कि सरस्वती योग से, कई अलग-अलग योगों की भी उत्पत्ति हो सकती है।

आप ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के योगों, विभिन्न कुंडली दोषों, सभी 12 ज्योतिष भावों, ग्रहों के गोचर और इसके प्रभावों के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं।

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