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ज्योतिष में शुभ योग/ Shubha Yoga in Astrology

शुभ का अर्थ मंगलसूचक होता है, जो अनुकूल परिणाम देता है इसलिए यह समझाने की आवश्यकता नहीं है कि यह योग क्या करता है और इससे कैसे परिणाम मिलने वाले हैं। अतः, यह समझते हैं कि किसी जन्मकुंडली में यह योग कैसे बनता है और किन क्षेत्रों से मिलेगी लाभ।

जन्मकुंडली के लग्न में शुभ ग्रहों के स्थित होने पर, शुभ योग बनता है। उदय लग्न या पहला भाव, लग्न होता है और जब पहला भाव या आधार मजबूत होता है, तो शुभ प्रभावों की प्राप्ति आसान हो जाती है जो अत्यधिक महत्व रखती है।

नवांश स्वामी के नवमेश के साथ, उसकी अनुकूल राशि के दूसरे भाव में होने और नवमेश के द्वितीयेश के साथ  होने वाली इन रेखाओं की बनावट ही, शुभ योग बनाती है।

परिणाम/ Results

शुभ योग के अंतर्गत जन्मे व्यक्ति, उच्च पद प्राप्त करने वाले न्यायसंगत व्यक्ति होते हैं। यह व्यक्ति, शास्त्रों के जानकार और ज्ञानी होते हैं। आकर्षक गुणवत्तापूर्ण वाणी वाले यह लोग परोपकारी होने के साथ ही, अपने  व्यवसायों में अत्यधिक उन्नति करने वाले और धनवान होते हैं। 

टिप्पणियाँ/ Comments

उच्च स्थिति वाला नवांश स्वामी, नवमेश की वृद्धि करता है, जिसके परिणामस्वरूप इस योग वाले व्यक्ति, चुंबक की तरह धन को आकर्षित करते हैं तथा अपने किए गए प्रत्येक प्रयास में सफलता प्राप्त करने के कारण, जीवन भर सौभाग्यशाली बने रहते हैं।

मंगल के नवांश में, नवमेश के साथ बृहस्पति के स्थित होने या द्वितीयेश और शनि के साथ बृहस्पति की स्थिति, इस योग को निर्धारित करती है।

इसी प्रकार, दूसरे भाव में चन्द्रमा और बृहस्पति के स्थित होने, द्वितीयेश के ग्यारहवें भाव होने तथा लग्नेश के शुभ राशियों में होने पर, बनने वाला योग शुभ योग कहलाता है।

आप ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के योगों, विभिन्न कुंडली दोषों, सभी 12 ज्योतिष भावों, ग्रहों के गोचर और इसके प्रभावों के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं।

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