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ज्योतिष में वज्र योग/ Vajra Yoga in Astrology

वैदिक ज्योतिष में ग्रह, भाव और राशियां मिल कर अनेक योग बनाते हैं और इन्ही योग के कारण आपको अपने जीवन में अलग अलग परिणाम भी देखने को मिलते हैं। चलिए ज्योतिष में वज्र योग/ Vajra Yoga in Astrology के बारे में जानते हैं और इससे मिलने वाले परिणाम को गंभीरता से समझने का प्रयास करते हैं। कुंडली में सभी शुभ ग्रहों के पहले और सातवें भाव में तथा सभी अशुभ ग्रहों के चौथे और दसवें भाव में होने पर, वज्र योग बनता है। इस योग में, ग्रहों की स्थिति वज्र की छवि के समान होती है, इसलिए इस योग को यह नाम दिया गया है।

कुण्डली में इस योग के बनने पर, बचपन और बुढ़ापा कष्टमय हो सकता है। इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति वीर और साहसी होने के साथ ही, शातिर और कठोर भी होते हैं। आमतौर पर, इस योग के प्रभावों के कारण, व्यक्ति अस्वस्थ हो सकता है और उसे वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

वज्र योग/Vajra Yoga वाले व्यक्ति, आंतरिक रूप से दृढ़ होने के कारण जीवन भर संघर्ष करने पर भी, अपने दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से सभी बाधाओं को दूर करने में सक्षम रहते हैं।

परिणाम/ Results

वज्र योग के अंतर्गत जन्मे व्यक्ति बहुत भाग्यशाली, संपन्न होने के साथ ही, सभी प्रकार की चिंताओं से मुक्त और विशाल हृदय वाले होते हैं।

टिप्पणियाँ/ Comments

भाग्य वाले नौवें भाव के मजबूत होने पर, जीवन के सभी सुखों को प्राप्त करना कठिन नहीं होता। उपरोक्त ग्रहों के साथ द्वितीयेश के नौवें भाव में स्थित होने के कारण, जीवन में प्रचुरता की निरंतर प्रगति और संतुष्टि की अनुभूति होती है।

मिथुन, तुला, मकर और मीन लग्न में जन्मे लोगों को इस योग का आनंद लेना चाहिए। अन्य लग्नों में, योग की यह गणना सम्मिलित नहीं होती। इसी तरह, नभास योग की योजना के अंतर्गत भी एक वैकल्पिक वज्र योग आता है।

आप ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के योगों, विभिन्न कुंडली दोषों, सभी 12 ज्योतिष भावों, ग्रहों के गोचर और इसके प्रभावों के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं।

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