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ज्योतिष में वासी योग/ Vasi Yoga in Astrology

सूर्य से बारहवें भाव में चंद्रमा के अलावा किसी अन्य ग्रह के स्थित होने पर, वासी योग/Vasi yoga बनता है। यह योग, बारहवें भाव में स्थित ग्रह के आधार पर शुभ या अशुभ फल प्रदान करता है। इस भाव में शुभ ग्रह की स्थिति व्यक्ति को बुद्धिमान और गुणवान बनाती है। शुभ वासी योग के अंतर्गत, व्यक्ति कुशल और बुद्धिमान होने के साथ ही, संचार-कौशल विकसित करता है। यह योग, इस योग वाले व्यक्तियों को सुखी और सफल पारिवारिक जीवन का आशीर्वाद देता है।

वहीं दूसरी ओर इस भाव में स्थित अशुभ ग्रह, कमजोर स्मरणशक्ति और स्वार्थी स्वभाव का कारण होने पर, ये व्यक्ति दूसरों के प्रति दयालु व्यवहार वाले नहीं होते तथा इन्हें अपने परिवार से दूर रहना पड़ सकता है, जिससे इन्हें जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

सूर्य से बारहवें भाव में, चन्द्रमा के अतिरिक्त किसी अन्य ग्रह या ग्रहों के स्थित होने पर ही वेसि योग निर्मित होता है।

परिणाम/ Results 

इस योग वाले व्यक्ति आशावादी, समृद्धशाली, उदार और शासकीय दृष्टि से अच्छे विकल्प साबित होते हैं।

टिप्पणियां/ Remarks 

कठोर ग्रहों के कारण वासी योग होने पर व्यक्ति भ्रष्ट, अयोग्य, शरारती, चंचल और परिश्रमी होते हैं। वहीं, शुभ ग्रहों के कारण वासी योग होने पर व्यक्ति समस्त सुखों और धन से सम्मानित होता है। सूर्य से बारहवें भाव में कठोर ग्रहों के होने की स्थिति में, व्यक्ति रुग्ण प्रकृति का होने के कारण, बीमारियों पर खर्च करता है तथा हानिकारक होने के कारण, उसे निर्वासन की स्थिति में रहने की आवश्यकता होती है। वहीं, सूर्य से बारहवें भाव में लाभ ग्रहों के स्थित होने के कारण व्यक्ति, अन्य लोगों के लिए व्यय करता है।

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