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ज्योतिष में विमल योग/ Vimala Yoga in Astrology

बारहवें भाव में अशुभ ग्रहों के स्थित होने या युति में होने तथा बारहवें भाव के स्वामी के, त्रिक (छठे या आठवें) भाव में से किसी एक में होने पर, विमल योग/Vimal Yoga का निर्माण होता है।

परिणाम/ Results

विमल योग में जन्मे व्यक्ति अशिष्ट, धन संबंधी क्षेत्रों में  कम प्रतिभाशाली, प्रचुरता से संग्रह करने वाले, अनुकूल और स्वतंत्र जीवन चलाने वाले तथा आपसी समझ से स्वयं को संवारने वाले होते हैं।

टिप्पणियाँ/ Comments

उपरोक्त व्यक्त तीनों योग अन्य त्रिक अर्थात छठे, आठवें या बारहवें भाव में, त्रिक स्वामी के प्रभावों में वृद्धि करते हैं। फलदीपिका के अनुसार, ये स्वामी प्रभुत्व से प्राप्त दुर्भावनापूर्ण उन्नति को छोड़कर, अच्छे मददगार बन जाते हैं।

बृहत् पराशर होरा शास्त्र, उपरोक्त परिणामों का समर्थन  नहीं करता। लेकिन, फिर भी यह बताता है कि छठे भाव में स्थित छठे का स्वामी, व्यक्ति को उसके परिवार के लिए बुरा और दूसरों के साथ मैत्रीपूर्ण बनाता है तथा आठवें भाव में व्यक्ति को रोगी, प्रतिकूल, दूसरों की प्रचुरता का लोभी और भ्रष्टाचारी बनाता है। वहीं, बारहवें भाव में होने पर व्यक्ति, लगातार अनौचित्य व्यय करने वाले, विद्वान व्यक्तियों के विरोधी और जीवों को कष्ट देने वाले होते हैं।

बी.पी.एच.एस. अष्टमेश के लिए कहता है कि छठे भाव का अष्टमेश व्यक्ति को शत्रुओं पर सफलता दिलाने के साथ ही, अस्वस्थ बनाता है तथा युवावस्था में सांप और पानी से खतरा उत्पन्न करता है। वहीं, आठवें भाव में होने पर व्यक्ति को शक्तिशाली, उपद्रवी, अपने बुरे कर्मों से दूसरों के उत्तरदायित्व से अलग करने वाला बनाता है तथा बारहवें भाव में होने पर, व्यक्ति को अल्पायु और दुष्ट बनाता है।

बी.पी.एच.एस. बारहवें भाव के स्वामी के लिए कहता है कि छठे भाव में स्थित बारहवें भाव का स्वामी, व्यक्ति को अपने आदमियों से दुश्मनी करने वाला, उग्र स्वभाव, भ्रष्ट और निराशाजनक, दूसरों के जीवनसाथी का अनुसरण करने वाला बनाता है तथा आठवें भाव में स्थित होने पर व्यक्ति को स्नेहशील वक्ता, औसत आयु देने के साथ ही, विशिष्ट गुण प्रदान करता है। वहीं, बारहवें भाव में होने पर, व्यक्ति उचित व्यय का सामना करता है तथा भ्रष्ट और क्रोधी होने के कारण, वास्तविक आनंद नहीं उठा पाता।

आठवां भाव और अष्टमेश दोनों के ही कष्टदायक होने पर, जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। आठवें भाव में सिर्फ शनि ही, जीवन के लिए बुरा नहीं होता है। आठवें भाव में मंगल व्यक्ति को सट्टेबाजी के क्षेत्र की तरफ अग्रसर करता है। वहीं, पीड़ित छठे और आठवें भाव, संक्रमण का कारण बनते हैं।

इसके अलावा, बारहवें भाव में लाभकारी ग्रह निश्चित रूप से श्रेष्ठ और उत्तम कारणों के लिए, लागत में वृद्धि  करते हैं। हालांकि, यह बुरे कार्यों के लिए हानिकारक होता है।

निश्चित रूप से, हम कह सकते हैं कि त्रिक भावों में  पीड़ित त्रिक स्वामी, गैरकानूनी तरीकों और भ्रष्ट नीतियों  द्वारा अत्यधिक संग्रह करने का अधिकार देते हैं। बुरे कर्मों और अनैतिक दृष्टिकोणों के कारण, स्वास्थ्य और जीवन बिखर जाता है। वास्तव में, व्यक्ति भेड़ की खाल में राक्षस समान ही होता है।

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